Wednesday 2 August 2017

पर्यावरण संरक्षण की खातिर प्रकृति प्रेमी आवाम के प्रेरणादायक संघर्ष की शानदार उपलब्धियां

हरकंवल सिंह
 
सैंचूरी पलाईवुड (कैमिकल फैक्टरी) के विरूद्ध चल रहे जन-आन्दोलन की महान विजय
गगरेट से तकरीबन दस किलोमीटर तथा हिमाचल प्रदेश की सीमा से मात्र सात-आठ किलोमीटर की दूरी पर हिमाचल की पहाडिय़ों से सटे अद्र्ध पहाड़ी जिला होशियारपुर में वातावरण बचाओ संघर्ष कमेटी तथा सैंचूरी पलाईवुड (कैमिकल फैक्टरी) के मालिकों के मध्य विगत 24 जून को जिलाधीश, एस.डी.एम. होशियारपुर व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति में हस्ताक्षारित किये गये समझौते से कई वर्णन योग्य उदाहरण स्थापित हुये हैं। क्षेत्र की जनता द्वारा 9 मार्च 2017 से लगातार दिन रात के धरने के रूप में चलाया जा रहा यह मोर्चा अन्तत: विजय प्राप्त कर सम्पन्न घोषित किया गया। आशानुसार यह समझौता, भविष्य में पर्यावरण सरंक्षण हेतु संगठित होने वाले प्रयासों के लिये एक मार्गदर्शक मीलपत्थर सिद्ध होगा। होशियारपुर—दसूहा सडक़ पर गांव दौलेवाल में, लगभग 40 एकड़ के क्षेत्रफल में इस इजारेदार कम्पनी द्वारा लगाई जा रही फैक्टरी में पलाई बोर्ड तथा ऐम.डी.एफ बोर्ड के अलावा फारमैलडेहाईड (स्नह्रक्ररू्ररुष्ठश्व॥ङ्घष्ठश्व) तथा रेजिन बनाने के लिये लगाये जा रहे रसायनिक प्लांट के विरूद्ध 21 अक्तुबर 2016 से यह जन-अन्दोलन शुरु था। इस खतरनाक रसायनिक प्लांट से क्षेत्र की जलवायु के प्रदूषित होने, वातावरण तथा समुचे जीवन पर पडऩे वाले सम्भावित प्रभावों को भांपते हुये कुछ सरपंचों तथा अन्य सुह्रदय लोगों ने ग्राम पंचायत गोबिन्दपुर खुनखुन के सरपंच स. गुरदीप सिंह के नेतृत्व में एक संघर्ष कमेटी संगठित कर यह मोर्चा आरम्भ कर दिया। पड़ाव दर पड़ाव चले इस संघर्ष की श्रंखला के रुप में क्षेत्र की जागरूक जनता ने 9 मार्च को कारखाने के सामने लगातार धरना आरम्भ करके फैक्टरी के लिये नई लाई जा रही 66 के.वी. की बिजली लाईन पर डाली जाने वाली तारों का काम रोक दिया था। निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा कई तरह की भडक़ाहटें पैदा करने के बावजूद शांतिपुर्वक चल रहे धरने में हजारों लोग जिसमें 60 से ज्यादा महिलायें हर रोज शामिल होती थीं, जारी रहा। तदुपरांत इलाके की 70 के करीब पंचायतों ने इस रसायनिक फैक्टरी को इस हरे भरे, सघन आबादी वाले कृषि प्रधान क्षेत्र में लगाने के खिलाफ प्रस्ताव पास कर सरकार को भेजे। लोगों के इस जबरदस्त रोष तथा संगठित जन दबाव के फलस्वरूप कारखाना मालिकों को रसायानिक प्लांट लगाने देने की आज्ञा दिये जाने के लिए भेजा गया प्रस्ताव वापिस लेने को विवश होना  पड़ा।  
यह इस जुझारू जन-अन्दोलन की पहली बड़ी सफलता थी। लेकिन यह संदेह बरकरार था कि अन्दोलन की  समाप्ति की घोषणा, तथा विद्युत सप्लाई चालू होने के बाद कम्पनी अपने इस प्रस्ताव को पुन: भेज सकती है। इसलिये जागरूक जनता ने सब प्रकार के मिथ्या प्रचार का विश्लेषण करने के पश्चात संघर्ष को यथावत जारी रखने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया तथा वातावरण को प्रदुषण मुक्त रखने से संबंधित अन्य मुददों को भी उभारा गया। साथ ही संघर्ष कमेटी का विस्तार भी किया गया। इस सारी पृष्ठभूमि में ही जिले के प्रशासनिक अधिकारियों की पहलकदमी पर 15 जून को जिलाधीश के दफ्तर में संघर्ष कमेटी नेतृत्व तथा फैक्टरी मालिकों के मध्य बातचीत आरम्भ हुई तथा 24 जून को निम्नलिखित समझौता लिखित रुप में हुआ। जिस पर फैक्टरी मालिक तथा संघर्ष कमेटी के अध्यक्ष के अतिरिक्त  एस.डी.एम होशियारपुर व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के हस्ताक्षर भी हुये हैं।
1. कम्पनी ने यह स्वीकार किया कि वो यहां पर कैमीकल प्लांट लगाने के लिये भविष्य में कभी भी अप्लाई नहीं करेंगे।
2. इस में यह भी स्वीकार किया गया कि एम.डी.एफ बोर्ड बनाने के प्लांट से होने वाले जल, वायु तथा ध्वनि प्रदूषण को देश के स्वीकार्य मानकों के अनुसार रखने के लिये अति आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया जायेगा तथा फैक्टरी की चार दिवारी के अन्दर 15 से 40 मीटर चौड़ी जगह पर पेड़ लगा कर सघन हरी पट्टी (त्रह्म्द्गद्गठ्ठ क्चद्गद्यह्ल) बनाई जायेगी। ताकि क्षेत्र को शोर तथा वायु प्रदुषण से मुक्त रखा जा सके।  
3. रसायनिक प्लांट के लिये रखे गये 4 एकड़ प्लाट में भी पौधारोपण कर के पार्क के तौर से विकसित किया जायेगा जिस से वातावरण शुद्ध रह सके।
4. यह भी लिखित में आया कि फैक्टरी में प्रयोग किये जाने वाले पानी को साफ करने के लिये जो दो वाटर ट्रीटमैंट प्लांट लगाये जायेंगे उनसे शुद्ध किये पानी को एक बड़े तालाब का निर्माण कर उसमें जमा कर उस में मत्स्य पालन किया जायेगा जिससे जल शुद्धता का परीक्षण लगातार होता रहे। इसके बाद ही यह जल सिंचाई हेतु प्रयोग में लाया जा सकेगा। 
5. फैक्टरी मालिकों ने यह भी भरोसा दिलवाया कि अब इस फैक्टरी से किसी तरह के प्रदूषण की कोई सम्भावना नहीं है तथा किसी भी तरह के किसी रोग के फैलने का कोई खतरा नहीं है। इसके बावजूद यह फैसला भी लिखा गया कि यदि इस फैक्टरी के कारण कोई बिमारी फैलती है तो 5 किलोमीटर के घेरे में उस बिमारी के शिकार बनने वाले हर शख्स के इलाज की समूची जिम्मेवारी फैक्टरी की होगी। 
6. यह भी लिखा गया है कि फैक्टरी के तहत आने वाली भूमि पर से 6 नलकूप बन्द कर दिये गये हैं तथा फैक्टरी ने 2 नलकूप नये सिरे से तथा नई शर्तों के तहत लगाने की सरकार से स्वीकृति ले ली है। इसके अतिरिक्त वर्षा के जल को जमीन में रिचार्ज किया जायेगा। 
7. आम तौर पर जहां बिजली के बड़े-बड़े खम्भे लगते हैं उसी जमीन का मुआवजा जमीन मालिक को मिलता है, छोटे खम्भों का नहीं। लेकिन यहां पर बिछाई जाने वाली तारों के नीचे की जमीन का भी मुआवजा जमीन मालिकों को मिलना तय होना इस जन आन्दोलन के चलते सम्पन्न इस समझौते का एक और वर्णन योग्य बिन्दु है। मुआवजे की राशि तय करने तथा इस इकरारनामे के तय बिन्दुओं को लागू करवाने तथा भविष्य में यकीनी बनाये रखने के लिये स. गुरदीप सिंह खुनखुन की अगवाई में संघर्ष कमेटी के 6 अन्य सदस्यों पर आधारित एक निगरान कमेटी बनाई गई है। इस कमेटी की सिफारशों पर अगर फैक्टरी की मैंनेजमैंट को कोई असहमति हो तो उस बारे में जिला प्रशासन निपटारा करवायेगा।

इसके अलावा निम्नलिखित अन्य फैसले दर्ज किये गये हैं : 
(1) फैक्ट्री प्रबंधन दौलेवाल-निआजीआं लिंक रोड के पश्चिम की ओर और जमीन नहीं खरीदेगा।                  
(2) कम्पनी अपने मुनाफे में से कारपोरेट सामाजिक जिम्मेवारी फंड के लिये तय 2 प्रतिशत रकम को और बढ़ायेगी, तथा क्षेत्र के विकास व अन्य सामाजिक भलाई कार्यों पर भी खर्च करेगी।                
(3) फैक्ट्री के अधीन आये रास्तों के बदले में कम्पनी खेल का मैदान बना कर देगी।                           
(4) फैक्ट्री के अन्दर बनी हुई पीर की मजार तथा इस रकबे में पुराने 20-22 पेड़ों को ज्यों का त्यों बरकरार रखा जायेगा। तथा मजार तक आने जाने के लिये दो करम (10 फुट) चौड़ा रास्ता छोड़ा जायेगा। फैक्ट्री के आवासीय ब्लाक तथा गैस्ट हाऊस की खिडकियां गांव की ओर नही रखी जायेंगी।             
 (5) फैक्ट्री का समूचा स्टाफ तथा कामगार योग्यता पूरी करने पर क्षेत्र से ही भर्ती किये जायेंगे।               
(6) फैक्ट्री वेतन तथा भत्तों आदि से संबंधित सारे श्रम कानूनों की मुकम्मल रूप से लागू करेगी।
(7) किसान से लकड़ी खरीदते समये फैक्टरी किसानों का किसी तरह का शोषण नहीं करेगी।            
(8)भविष्य में फैक्ट्री में कोई अन्य विस्तार करने से पहले निगरान कमेटी से विचार-विमर्श तथा सहमति आवश्यक होगी।             
(9) इसके अतिरिक्त अन्य नीतिगत फैसले लिये गये जिनमें पूरे संघर्ष के दौरान गुरदेव राम, कुलविन्द्र सिंह तथा संघर्ष कमेटी के अन्य नेताओं पर बनाये गये सारे पुलिस केस खत्म करना, 6 जून को बीबी मनजीत कौर का रास्ता रोक कर उस पर हमला करने वाले दोषियों को शीघ्रातिशीघ गिरफ्तार करना, कुछ समय पहले एक राजनीतिक नेता की जीप से कुचल कर मारी गई दो लड़कियों के परिवार वालों तथा घायल कर दी गई  एक लडक़ी प्रिया कलसी को सरकारी नौकरी दिलवाने के लिये नये सिरे से जरूरी कार्यवाई की जायेगी। फैक्ट्री से लगातार बढ़ रहे ध्वनि प्रदुषण को नियंत्रित करने के लिये सतत प्रयास किये जायेंगें।    
इस 109 दिन चले लम्बे आन्दोलन में जहां प्रगतिशील विचारधारा के संगठनों, वामपंथ की पार्टियों-भारतीय क्रांतिकारी माक्र्सवादी पार्टी (आरएमपीआई) तथा सी.पी.आई.(एम) तथा अकाली दल (अमृतसर) का योगदान सराहनीय रहा। भारतीय क्रांतिकारी माक्र्सवादी पार्टी के जिला सचिव सहित संघर्ष कमेटी के अध्यक्ष स. गुरदीप सिंह खुनखुन ने लगातार हाजिर रह कर नेतृत्व प्रदान किया। 109 दिन लगातार लंगर चलता रहा जिस में इलाके की जनता का सहयोग सराहनीय रहा। रोजाना 1500 से 2000 तक लोग लंगर प्राप्त करते रहे।            
- अनुवादक सुदर्शन कन्दरोड़ी

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