Friday 1 May 2015

कम्युनिस्ट पार्टी माक्र्सवादी पंजाब के चौथे सांगठनिक सम्मेलन में पारित किया गया जन-संघर्षों को प्रचंड करने के संबंध में प्रस्ताव

कम्युनिस्ट पार्टी माक्र्सवादी पंजाब का, शहीद करतार सिंह सराभा नगर, पठानकोट में 5 से 8 अप्रैल 2015 तक हुआ यह सांगठनिक सम्मेलन केंद्र की मोदी सरकार तथा अकाली-भाजपा गठजोड़ की प्रांतीय सरकार के आम लोगों की जीवन स्थितियों को तबाह करने वाले तथा जनवाद को ठेस पहुंचाने वाले कदमों की पुरजोर निंदा करता है तथा इनके विरुद्ध विशाल व ठोस जन-प्रतिरोध निर्मित करने की घोषणा करता है। 
यह प्रांतीय सम्मेलन इस बात पर गहरी चिंता प्रकट करता है कि मोदी सरकार, इजारेदार स्वदेशी घरानों व बहुराष्ट्रीय विदेशी कंपनियों के हितों की पूर्ति के लिए, एक ओर किसानों की उपजाऊ भूमि जोर-जबरदस्ती हथियाने तथा दूसरी ओर श्रम कानूनों में भारी तोडफ़ोड़ करने के लिए पूरे जोर शोर से लगी हुई है। इस उद्देश्य के लिए सरकार द्वारा व्यापक जनमत को भी पूरी तरह अनदेखा किया जा रहा है तथा केवल एक साल पहले देश की संसद द्वारा पारित किए गए भूमि अधिग्रहण कानून में किसान व मजदूर विरोधी संशोधन किए जा रहे हैं। दूसरी ओर देश के श्रमिकों द्वारा लंबे संघर्षों के परिणामस्वरूप बनवाए गए श्रम कानूनों में से सेवा सुरक्षा की व्यवस्था को बड़ी हद तक खत्म करने तथा मजदूरों को मालिकों की स्वै-इच्छा के गुलाम बना देने के लिए भी जोरदार प्रयत्न किए जा रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं द्वारा चुनावों के दौरान लोगों से किए गए समस्त वायदे सरकार ने पूर्ण रूप से भुला ही दिए हैं। इस के कार्यकाल के 10 महीने बीत जाने के बावजूद न यहां महंगाई को नकेल डाली गई है, न देश में रोजगार के अवसर बढ़े हैं तथा न ही चोर बाजारी व रिश्वतखोरी करने वाले धनाढों का विदेशी बैंकों में जमा काला धन ही वापस लाकर लोगों को कोई राहत प्रदान की गई है। यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें घट कर एक तिहाई रह जाने के बावजूद पैट्रोल-डीजल व रसोई गैस आदि की कीमतों में लोगों को बनती राहत भी नहीं प्रदान की गई है। पंजाब की सरकार ने तो बल्कि, बस किरायों में और बढ़ौत्तरी कर दी है। चुनावी वायदे पूरे करने तथा मेहनतकश लोगों को कोई ठोस राहत देने की बजाए मोदी सरकार ''स्वच्छ भारत तथा ''जन-धन योजना जैसे हवाई नारे देकर लोगों से घिनौना मजाक कर रही है। इस सरकार द्वारा फूड कारपोरेशन (स्नष्टढ्ढ) जैसे महत्त्वपूर्ण संस्थान को खत्म करके न सिर्फ किसानी की बाजार में होती लूट व परेशानी में और अधिक बढ़ौत्तरी करने की शर्मनाक योजनाएं ऐलानी जा रही हैं बल्कि इस कदम से गरीबों को भोजन उपलब्ध बनाने की ओर दिशागत अन्न सुरक्षा कानून भी एक तरह से अर्थहीन व अपंग बना दिया जाएगा।  
यह सम्मेलन यह भी नोट करता है कि मोदी सरकार द्वारा नव-उदारवादी नीतियों को पहली सरकार से भी अधिक तेजी व बेरहमी से लागू करने से केवल लोगों की आर्थिक मुश्किलों में ही बढ़ौत्तरी नहीं हो रही, बल्कि भारतीय संविधान में दर्ज जनहितैषी जनवादी मूल्यों को भी भारी चोट पहुंच रही है। भूमि अधिग्रहण कानून का हुलिया बिगाडऩे के लिए इस सरकार द्वारा जिस तरह संसदीय व्यवस्था की धज्जियां उड़ा के शाही आदेशों (आरडीनैंस) का सहारा लिया जा रहा है उस से भाजपाई हाकिमों की तानाशाही रुचियां काफी हद तक स्पष्ट होकर सामने आ गईं  हैंैं।  आर्थिक विकास के लिए योजनाबंदी को जनहितैषी व सुचारू बनाने की जगह मोदी सरकार ने योजना आयोग को समाप्त करके व समूची अर्थव्यवस्था को कंट्रोल मुक्त करके साम्राज्यवाद निर्देशित नव उदारवादी नीतियों के जनविरोधी रास्ते पर पूरी तरह डाल दिया है।  साम्राज्यवादी वित्तीय पूंजी (स्नष्ठढ्ढ) को और छूट देकर इस सरकार ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए देश के प्राकृतिक संसाधनों व लोगों की गाढ़े पसीने की कमाई को बिना किसी भय के लूटने के रास्ते और अधिक खोल दिए हैं। सरकार के इन समस्त कदमों से मु_ी भर धनाढों की तिजोरियां तो और अधिक भारी होती जाएंगी परंतु मेहनतकश लोगों की तंगियां निरंतर बढ़ती ही जाएंगी। इस सरकार द्वारा वर्ष 2015-16 के लिए पेश किए गए बजट में भी एक ओर संपत्ति कर को खत्म करके तथा कारपोरेट कर में छूटें देकर धनाढों को तो प्रसन्नचित्त कर दिया है परंतु दूसरी ओर सेवा कर में बढ़ौत्तरी करके आम लोगों पर और अधिक बोझ लाद दिया गया है तथा उन्हें मिलने वाली शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए रखी गई राशियों में भारी कटौती की गई है। 
यह सम्मेलन इस तथ्य को भी गंभीरता सहित नोट करता है कि देश में भाजपा की सरकार बनने के साथ 'संघ परिवारÓ तथा उस से संबंधित अन्य समस्त संगठनों की सांप्रदायिक घृणा फैलाने वाली सरगरमियां तेज हो गई हैं। यहां तक कि आर.एस.एस. के मुखी, मोहन भागवत द्वारा देश में धर्म आधारित हिंदू राष्ट्र स्थापित करने के मनसूबे सरेआम घोषित किए जा रहे हैं। इस उद्देश्य के लिए अल्पसंख्यकों के विरुद्ध कई तरह का जहरीला प्रचार किया जा रहा है, उनके धर्मस्थानों पर योजनाबद्ध ढंग से हमले किए जा रहे हैं, जोर-जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करवाए जा रहे हैं तथा उत्तर पूर्वी प्रांतों के लोगों के विरुद्ध नस्ली आधार पर भी नफरत पैदा की जा रही है। इन समस्त कुकर्मों में केंद्र सरकार के कई मंत्री व भाजपा के कई वरिष्ठ नेता भी खुलेआम भाग लेते हैं तथा जहरीली  बयानबाजी करते हैं। ऐसी सांप्रदायिक दहशतगर्दी से केवल अल्प-संख्यक आबादी में ही नहीं बल्कि समूचे धर्म निरपेक्ष व जनवादपसंद लोगों की चिंताएं बढ़ रही हैं। क्योंकि ऐसी सांप्रदायिक-फाशीवादी कार्यवाहियों से देश की भाईचारक एकजुटता को ही चोट नहीं पहुंचती बल्कि देश की एकता-अखंडता के लिए भी गंभीर खतरे बढ़ रहे हैं। चिंता वाली बात यह है कि मोदी सरकार द्वारा ऐसे देशद्रोही व जनविरोधी तत्वों के विरुद्ध कोई ठोस कार्यवाही करने की जगह आम तौर पर चुप्पी धारण करके उनकी हौसला अफजाई की जा रही है। इस तरह सांप्रदायिक-फाशीवाद का दैत्य देश में तांडव नाच नाचता दिखाई दे रहा है, जिसको परास्त करना ही लोगों के समक्ष एक ऐतिहासिक जरूरत बन गया है। 
यह सम्मेलन यह भी नोट करता है कि पंजाब में अकाली-भाजपा सरकार ने प्राकृतिक संसाधनों व सरकारी खजाने की व्यापक लूट मचाई हुई है। तथा, प्रांत में लोकतंत्र की जगह एक तरह का माफिया राज स्थापित हो चुका है। जो कि रेत-बजरी की खुदाई, नशों की तस्करी, केबल प्रणाली, ट्रांसपोर्ट, रीयल इस्टेट, समेत हर तरह के कारोबारों पर हावी हो चुका है। अकाली दल व भाजपा के नेता हर प्रकार के उत्पादक साधन जोर-जबरदस्ती हथिया रहे हैं। उन्होंने प्रशासन व पुलिस का पूर्ण रूप से निजीकरण कर दिया है तथा पुलिस का हर स्तर का अधिकारी समानांतर स्तर के अकाली-भाजपा नेता के अधीन कर दिया गया है। जिससे पुलिस व प्रशासन की आम लोगों के प्रति जवाबदेही लगभग समाप्त हो गई है। परिणामस्वरूप अमन-कानून की अवस्था में भी भारी विकृति आ चुकी है तथा निरदोष लोगों पर अत्याचार भी लगातार बढ़ रहे हैं। लूट-पाट भी बढ़ी है तथा समाज विरोधी अन्य कुकर्म भी बढ़े हैं। इस पृष्ठभूमि में ही नशों के तस्करों, सत्ताधारी राजनीतिज्ञों तथा पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से प्रांत में नशाखोरी में भारी बढ़ौत्तरी हुई है जिससे घरों के घर तबाह हो गए हैं। प्रांत में रोजगार मांगते नौजवान लडक़ों व लड़कियों को लगभग रोजाना ही पुलिस के वहिशी अत्याचारों का सामना करना पड़ता है। सरकार द्वारा एक ओर सरकारी खजाना खाली होने की हाहाकार मचाई जा रही है तथा दूसरी ओर प्रांत में सरकारी फजूलखर्चियां निरंतर बढ़ती ही जा रही हैं। अभी-अभी  सरकार ने एक ओर लगभग 12 हजार करोड़ रुपए के घाटे का बजट पेश किया है तथा दूसरी ओर अगले ही दिन मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, मंत्रियों, मुख्य संसदीय सचिवों व विधानसभा सदस्यों आदि के वेतनों, पैन्शनों तथा भत्तों आदि में 60-100 प्रतिशत की भारी बढ़ौत्तरी कर ली है। जबकि गरीब लोगों को सस्ता अनाज देने, घरों के लिए प्लाट व अनुदान देने, बेरोजगारी भत्ता देने, बुढापा व विधवा पैन्शनों में बढ़ौत्तरी करने आदि के किए गए वायदे लगभग पूरी तरह ही भुला दिए हैं। 
यह सम्मेलन महसूस करता है कि केंद्रीय व प्रांतीय हाकिमों की इन समस्त जनविरोधी चालों को पछाडऩे के लिए जन-संघर्षों द्वारा शक्तिशाली व विशाल जन-आंदोलन का निर्माण करना समय की प्रमुख आवश्यकता है। इस उद्देश्य के लिए सी.पी.एम.पंजाब द्वारा भविष्य में त्रि-स्तरीय संघर्ष चलाए जाएंगे। 
1. पार्टी व पार्टी के नेतृत्व में कार्यरत जन-संगठनों के आजादाना जन-संघर्ष, 
2. वामपंथी शक्तियों के संयुक्त जन-संघर्ष तथा 
3. वामपंथी व जनवादी शक्तियों, जनहितैषी आंदोलनों व इंसाफपसंद व्यक्तियों को एकजुट करके प्रारंभ किए जाने वाले विशाल जन-संघर्ष। 
इस दिशा में यह सम्मेलन घोषणा करता है कि मोदी सरकार व  बादल सरकार द्वारा मेहनतकशों की जीवन स्थितियों पर किए जा रहे नित्य प्रति के हमलों के विरुद्ध, भूमि अधिग्रहण बिल में किए जा रहे संशोधनों को खत्म करवाने के लिए, एफसीआई द्वारा खेती उत्पादों के मंडीकरण को मजबूत बनाने के लिए, भूमिहीन देहाती व शहरी मजदूरों के लिए 10-10 मरले के प्लाटों व घरों के लिए अनुदान के लिए, मनरेगा स्कीम के अधीन गांवों व शहरों के मजदूरों को सारा साल काम दिलवाने व दिहाड़ी 500 रुपए करवाने के लिए, बेरोजगारों को उचित बेरोजगारी भत्ता दिलवाने के लिए, समान व गुणवत्ता आधारित शिक्षा तथा मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए तथा मेहनतकश जनसमूहों की अन्य ज्वलंत मांगों के लिए पार्टी द्वारा मई महीने से पड़ाववार व तीव्र जनसंघर्ष आरंभ किया जाएगा। इस संघर्ष के पहले पड़ाव के रूप में 11 मई से 25 मई तक ''जनसंपर्क पंद्रहवाड़ा मनाया जाएगा, जिसके दौरान समूचे प्रांत में विशाल जनसभाएं तथा जलसे किए जाएंगे। इस संघर्ष के अगले पड़ाव के रूप में जून महीने के पहले सप्ताह में समस्त जिला केंद्रों पर विशाल प्रदर्शन व रैलियां  की जाएंगी। 
यह प्रांतीय सम्मेलन पार्टी के समूह सदस्यों व काडरों से अपील करता है कि जन-लामबंदी के इस प्रोग्राम को प्रभावशाली बनाने के लिए यथा संभव प्रयास किए जाएं। यह सम्मेलन समूचे मेहनतकश जनसमूहों तथा वामपंथी व जनवादी शक्तियों को भी इन प्रोग्रामों में अधिक से अधिक संख्या में शमूलियत करने के लिए जोरदार अपील करता है। 
जन-शक्तियां - जिंदाबाद !
सी.पी.एम.पंजाब - जिदाबाद!!

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