Friday 6 June 2014

‘‘रोगग्रस्त हो चुका है धमनियों में दौड़ता हुआ रक्त’’

हालांकि पर्यावरण संबंधी चिंताएं आज हर, धरती प्रेमी और मानवता मित्र के मन कचोट रही है। किन्तु इन समस्याओं का इतना भयावह  रूप भी देखने को मिलेगा ये सपने में भी नहीं सोचा था। बाद यूं हुई कि गत 14 मई को शहीद भगत सिंह नौजवान सभा पंजाब-हरियणा के महासचिव मंदीप सिंह रतिया ने फोन कर मुझे पूछा कि क्या आप कल यानि 15 मई को रतिया (हरियाणा) में युवकों को संबोधित करने के लिए आ सकते हैं; क्योंकि उन के द्वारा शहीदों की याद में रखा गया खून दान शिविर प्रशासन द्वारा प्रतिबबंधित कर दिया गया था। किसी और काम में लिप्त होने के चलते रतिया जाने में अपनी असमर्थता जताते हुए मैने कौतूहल वश पूछा कि प्रशासन द्वारा आप का शिविर प्रतिबंधित क्यों कर दिया गया। 
उत्तर में युवक नेता ने जो बताया वह सुन-पढ़ कर जीते जागते इंसानों के होश उडना लाजमी है। उन्होंने बताया कि पूरे रतिया में प्रदूषण के सर्वव्यापी फैलाव के चलते हैपेटाईटस ‘सी’ (काला पीलिया) के रोगियों की संख्या भयानक मात्रा में बढ़ती जा रही है। इसीलिए रक्तदान कहीं जान बचाने के बजाये लोगों की जान का जोखिम न बन जाए। इसे देखते हुए ही प्रशासन ने शिविर स्थागित करने का आग्रह किया था। हैरान परेशान मैं तुरंत जी-पंजाब-हरियाणा नामक टी.बी. चैनल देखने लगा तो मुझे पता चला कि ऐसी भी भयावह स्थिति हरियाणा के कस्बे टोहाणा के आसपास की भी है। और इसे आप एक दुख्द संयोग कहिये कि 15 मई को मेरा रतिया जाने में असमर्थता साथी गुरनाम सिंह दाऊद तथा साथी गुरतेज सिंह हरीनौं के साथ मोगा जिले की बाघा पुराना तहसील के गांव औलख में जाना था और दुर्भागयवश यह इलाका भी बहुत विशाल स्तर पर हैपेटाईटस-सी की मार में आ चुका है। यहां मैं पाठकों को यह अवश्य बता दूंं कि रतिया इलाका पंजाब के मानसा जिले के एक और तहसील बुढ़लाड़ा तथा दूसरी ओर तहसील सरदूलगढ़ के साथ लगता है। इस तरह टोहाणा जहां दिल्ली, श्री गंगानगर रेलवे लाईन पर बसा घना कस्बा है वहीं इस की हदें पंजाब के मानसा और संगरूर जिलों को साथ लगती हैं। 
संक्षेप में आंकड़े जमां करने पर ध्यान में आया कि विगत ढाई वर्ष पहले हेैपेटाईटस ‘सी’ भी वास्तविक स्थिति जानने के लिए रतिया इलाके में 7000 रक्त सैंपल लिये गये थे जिनमें से 1584 पाजिटिव पाये गये थे मानिकि 22.7प्रतिशत। लेकिन गत माह रतिया शहर के 50 रक्त सैंपलों में से 24 पाजिटिव पाये गये यानि कि 48 प्रतिशत। यहां नहीं रहना चाहिए कि यह वृद्धि बाधा पुराना से लेकर सारा पंजाब होते हुए टोहाणा-रतिया सहित पूरे क्षेत्र में फैल चुकी है। कैंसर ग्रस्त गांवों में हुई मौतों का दर्द अभी लोग भूले भी नहीं हैं कि हैपेटाईट्स -सी के रूप में एक नया कातिल पैर पसार रहा है। हमेशा की तरह सरकारें और विभाग सो रहे हैं पर इंतजार है लोगों को जगाने व संघर्ष करने की।

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